कविता समय 2011: ग्वालियरः 25-26 फरवरी

Posted on February 13, 2011

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पूरी दुनिया के साहित्य और समाज में कविता की जगह न सिर्फ कम हुई है उसके बारे में यह मिथ भी तेजी से फैला है कि वह इस बदली हुई दुनिया को व्यक्त करने, उसे बदलने के लिए अनुपयुक्त और भयावह रूप से अपर्याप्त है. खुद साहित्य और प्रकाशन की दुनिया के भीतर कथा साहित्य को अभूतपूर्व विश्वव्यापी केन्द्रीयता पिछले दो दशकों से मिली है. एक अरसे तक कविता-केन्द्रित  रहे हिंदी परिदृश्य में भी कविता के सामने प्रकाशन और पठन की चुनौतियाँ कुछ इस तरह और इस कदर दरपेश हैं कि हिंदी कविता से जुड़ा हर दूसरा व्यक्ति उसके बारे में अनवरत ‘संकट की भाषा’ में बात करता हुआ नज़र आता है.  लेकिन मुख्यधारा प्रकाशन द्वारा प्रस्तुत और बहुत हद तक उसके द्वारा नियंत्रित इस ‘चित्रण’ के बरक्स ब्लॉग, कविता पाठों और अन्य वैकल्पिक मंचों पर कविता की  लोकप्रियता, अपरिहार्यता  और असर हमें विवश करता है कि हम इस बहुप्रचारित ‘संकट’ की एक खरी और निर्मम पड़ताल करें और यह जानने कि कोशिश करें कि यह कितना वास्तविक है और कितना  बाज़ार द्वारा  नियंत्रित एक मिथ. और यदि यह साहित्य के बाज़ार की एक ‘वास्तविकता’ है तो भी न सिर्फ इसका प्रतिकार किया जाना बल्कि उस प्रतिकार के लिए जगह बनाना, उसकी नित नयी विधियाँ और अवसर खोजना और उन्हें क्रियान्वित करना कविता से जुड़े हर कार्यकर्ता का – पाठक, कवि और आलोचक – का साहित्यिक, सामाजिक और राज(नैतिक) कर्त्तव्य है.

दखल विचार मंच और प्रतिलिपि द्वारा की गई पहल “कविता समय”  का उद्घाटन-आयोजन २५-२६ फरवरी को ग्वालियर में हो रहा है और इसका उद्देश्य इन सभी दिशाओं में विचार विमर्श और कार्रवाई करने का है. इस दो दिवसीय आयोजन में  ‘कविता के संकट’ के विभिन्न पहलुओं पर जिरह और कविता पाठ के कई सत्रों अलावा कविता प्रकाशन के वैकल्पिक अवसरों पर एक ठोस कार्य-योजना घोषित की जाएगी.

सहभागिता के आधार पर हो रहे इस  आयोजन में भाग लेने के लिए देशभर के पचास कवि-आलोचकों की सहमति प्राप्त हो चुकी है जो संकेत है कि इस आयोजन को लेकर हिंदी जगत में उत्सुकता और उत्साह है और हम इस आयोजन से कुछ ठोस परिणामों की उम्मीद कर सकते हैं. आगंतुक लेखकों में जहाँ एक ओर नामवर सिंह, अशोक बाजपेयी, , वीरेन डंगवाल, मंगलेश डबराल, नरेश सक्सेना, राजेश जोशी,  कुमार अंबुज, लीलाधर मंडलोई, मदन कश्यप, सविता सिंह, सुमन केसरी जैसे वरिष्ठ हैं वहीँ दूसरी तरफ विशाल  श्रीवास्तव, महेश वर्मा, पवन मेराज, संध्या नवोदिता, ज्योति चावला जैसे नवागंतुक भी शामिल हैं.  दिल्ली के फिल्मकार नितिन पमनानी पूरे आयोजन पर आधारित एक फिल्म का निर्माण कर रहे हैं और जयपुर से आ रहे चित्रकार अमित कल्ला इस पूरे आयोजन के दौरान कविताओं पर केन्द्रित पेंटिंग बनायेंगे और  जबलपुर से आये कलाकार विनय अम्बर तथा अशोकनगर के पंकज दीक्षित कविता-पोस्टर प्रदर्शनी लगायेंगे. आयोजन के दौरान एक पुस्तक प्रदर्शनी भी आयोजित की जा रही है जिसमें शिल्पायन, प्रतिलिपि बुक्स और अन्य प्रकाशनों की किताबें उपलब्ध रहेंगी.

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